Jaykara
हरिः ॐतत्सत! पंगत की जयकारा सम्पूर्ण जेवत संत हरिहर करैं धन्य पुरुषन् के भाग । तिनके गृह पावन भये सन्त पधारे आय ।। बोलियो सन्तो प्रेम से मधुरी सी बानी । " श्री हरे " श्री रामकृष्ण देव की सालग्राम परमात्मा की 卐 (नारायण)卐 श्रीमन्ननारायण की स्वयं ब्रह्म नारायण की , पूरणब्रह्म नारायण की ,सच्चिदानंद ब्रह्म नारायण की , ज्योतिस्वरूप नारायण की , आदि नारायण की , अव्यय पुरुष नारायण की , श्री लक्ष्मी शिवरी नारायण की , नर नारायण की ,बद्री नारायण की , सूर्य नारायण की , त्रियुगी नारायण की, शुक्र नारायण की , शंख नारायण की ।। 卐 (पुरुषोत्तम )卐 लीला पुरुषोत्तम भगवान की मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान की यज्ञ पुरुषोत्तम भगवान की आदि