"स्थिर बुद्धि "(Sthir-Buddha)
"Amrat""Amrat"
साधक सतत नाम जप का अभ्यास व परमात्मा से निरंतर प्रेम पाने का अभ्यास करने से साधक जल्द ही स्थिर बुद्धि हो जाता है । "जय श्री राधे "
परमात्मा से प्रेम का अभ्यास अर्थात भक्ति योग
साधक केवल भक्ति योग को अपनाए तो शेष सभी योग
विधाऐ स्वमेव ही अपना ज्ञान प्राप्त करा देती हैं ।
" जय श्री राधे "
उपरोक्त समस्त साधना पद्धति वैराग्य के द्वारा ही
साधक को प्राप्त होती है
रामायण तुलसी दास कृत
गुरु विन होय कि ज्ञान, ज्ञान कि होय विराग विन ।
श्री गुरु देव की कृपा और वैराग्य ( विना राग के) यह
दशा राजा जनक ने प्राप्त की जो सब के लिए संभव है
वैराग्य का आधार.....
" जय श्री राम "
यह तय है कि ज्ञान विज्ञान के अतिरिक्त जो है वह अज्ञान है ।
और अज्ञान में ही संसार का विज्ञान है।
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