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सर्व कार्य हेतु सिद्ध मंत्र

सर्व-कार्य-सिद्धि जञ्जीरा मन्त्र “या उस्ताद बैठो पास, काम आवै रास। ला इलाही लिल्ला हजरत वीर कौशल्या वीर, आज मज रे जालिम शुभ करम दिन करै जञ्जीर। जञ्जीर से कौन-कौन चले? बावन वीर चलें, छप्पन कलवा चलें। चौंसठ योगिनी चलें, नब्बे नारसिंह चलें। देव चलें, दानव चलें। पाँचों त्रिशेम चलें, लांगुरिया सलार चलें। भीम की गदा चले, हनुमान की हाँक चले। नाहर की धाक चलै, नहीं चलै, तो हजरत सुलेमान के तखत की दुहाई है। एक लाख अस्सी हजार पीर व पैगम्बरों की दुहाई है। चलो मन्त्र, ईश्वर वाचा। गुरु का शब्द साँचा।” विधि- उक्त मन्त्र का जप शुक्ल-पक्ष के सोमवार या मङ्गलवार से प्रारम्भ करे। कम-से-कम ५ बार नित्य करे। अथवा २१, ४१ या १०८ बार नित्य जप करे। ऐसा ४० दिन तक करे। ४० दिन के अनुष्ठान में मांस-मछली का प्रयोग न करे। जब ‘ग्रहण’ आए, तब मन्त्र का जप करे। यह मन्त्र सभी कार्यों में काम आता है। भूत-प्रेत-बाधा हो अथवा शारीरिक-मानसिक कष्ट हो, तो उक्त मन्त्र ३ बार पढ़कर रोगी को पिलाए। मुकदमे में, यात्रा में-सभी कार्यों में इसके द्वारा सफलता मिलती है। _______________________________________ अक्षय-धन-प्राप्ति मन्त्र

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अनन्य भक्ति (Exclusive devotion)

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Jay Sri Radhe Jay Sri Radhe अनन्याश्चितन्तो मा ये जनाः पर्युपास्ते ।तेषां नित्याभियुक्तानां योग क्षेमंवहाम्हम् ।। यो  विश्वा दयते वसु होता मन्द्रो जनानाम् । मधोर्न पात्रा प्रथमान्यस्मै प्र स्तोमा यन्तवग्नये ।। सामवेद ऋचः 44 O God, you give love to the world, love my heart also. And you love me all the way. O Lord, take me to the truth from falsehood, lead me to light of ignorance from ignorance of ignorance and bring death from death to immortality. असतो मा सद्गमय ,तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय्।। Jay Sri Radhe Jay Sri Radhe हे  पार्थ ,अपनी बुद्धि का प्रवेश मुझ आदि,अन्त,मध्य,दिव्यातिदिव्य,आदिब्रह्म बीजरूपी,पारब्रह्म,तूर्यावस्था का मध्यगृह ,उस मेरे नित्य शुद्ध स्वरूप कांति पर करो । अपने निःशेष संकल्प को  अतितरुण तूर्यावस्था मय  कालरूपी यन्त्र के चालक चिदानंद ज्योतिरूप महाविद्युत से जला दो । O Partha, enter your intellect on the basis of me, end, mid, divyadidavya, adibrahim seed-root, parabrahm, the middle house of the tuarayavat, on that continous my pure nat